अध्याय 2. समाजवाद एवं साम्यवाद
पाठ की मुख्य बातें
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न –
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर रूप में चार विकल्प दिए गए हैं ।
जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगावें :
1. रूस में कृषक दास प्रथा का अंत कब हुआ?
(क) 1861 ई०
(ख) 1862 ई०
(ग) 1863 ई०
(घ) 1864 ई०
2. रूस में जार का अर्थ क्या होता था?
(क) पीने का बर्तन
(ख) पानी रखने का मिट्टी का पात्र
(ग) रूस का सामन्त
(घ) रूस का सम्राट
3. कार्ल मार्क्स का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) इंगलैण्ड
(ख) जर्मनी
(ग) इटली
(घ) रूस
4. साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग कहाँ हुआ था ?
(क) रूस
(ख) जापान
(ग) चीन
(घ) क्यूबा
5. यूरोपियन समाजवादी कौन नहीं था ?
(क) लुई. ब्लां
(ख) सेंट साइमन
(ग) कार्ल मार्क्स
(घ) रॉबर्ट ओवन
6. “वार एण्ड पीस” किसकी रचना है ?
(क) कार्ल मार्क्स
(ख) टॉलस्टाय
(ग) दोस्तोवस्की
(घ) एंजेल्स
7. बोल्शेविक क्रांति कब हुई ?
(क) फरवरी, 1917 ई०
(ख) नवम्बर, 1917 ई०
(ग) अप्रैल, 1917 ई०
(घ) 1905 ई०
8.लाल सेना का गठन किसने किया था ?
(क) कार्ल मार्क्स
(ख) स्टालिन
(ग) ट्राटस्की
(घ) करेंसकी
9. लेनिन की मृत्यु कब हुई ?
(क) 1921 ई०
(ख) 1922 ई०
(ग) 1923 ई०
(घ) 1924 ई०
10. ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि किन देशों के बीच हुई थी?
(क) रूस और इटली
(ख) रूस और फ्रांस
(ग) रूस और इंग्लैण्ड
(घ) रूस और जर्मनी
उत्तर
1. (क) 2. (घ) 3. (ख) 4. (क) 5. (ग) 6. (ख) 7. (ख) 8. (ख) 9. (घ) 10. (घ)
1. रिक्त स्थानों की पूति करें
1. रूसी क्रांति के समय शासक ………… था।
2. बोल्शेविक क्रांति का नेतृत्व ………….. ने किया था।
3. नई आर्थिक नीति ………….. ई० में लागू हुआ था।
4. रॉबर्ट ओवन ………… का निवासी था।
5. वैज्ञानिक समाजवाद का जनक ………….. को माना जाता है।
उत्तर
1. जार निकोलस-II 2. लेनिन II 3. 1921 4. ब्रिटेन 5. कार्ल मार्क्स ।
सुमेलित करें:
1. दास कैपिटल (क) 1953 ई०
2. चेका (ख) कार्ल मार्क्स
3. नई आर्थिक नीति (ग) 1883 ई०
4. कार्ल मार्क्स की मृत्यु (घ) गुप्त पुलिस संगठन
5. स्टालिन की मृत्यु (ङ) लेनिन
उत्तर
1. (ख) 2. (घ) 3. (ङ) 4. (ग) 5. (क)
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अति लघु उत्तरीय प्रश्न –
प्रश्न 1.
पूँजीवाद क्या है ?
उत्तर-पूँजीवाद से तात्पर्य ऐसी अर्थव्यवस्था से है जिसमें उत्पादन के साधन पर व्यक्तिगत स्वामित्व होता है । इसका उद्देश्य लाभार्जन है। वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बाजार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है।
प्रश्न 2. खूनी रविवार क्या है ?
उत्तर-1905 ई० के एतिहासिक रूस-जापान युद्ध में रूस बुरी तरह पराजित हुआ। इस पराजय के कारण 1905 ई० में रूस में क्रांति हो गई । 9 फरवरी, 1905 ई० को लोगों का समूह “रोटी दो” के नारे के साथ सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए सेंट पीटर्सबर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था। परन्तु जार की सेना ने इस निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसायीं जिसमें हजारों लोग मारे गए, उस दिन रविवार था इसलिए उस तिथि को खूनी रविवार (लाल रविवार) के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 3. अक्टूबर क्रांति क्या है ?
उत्तर-लेनिन ने बल प्रयोग द्वारा केरेन्सकी सरकार को पलट देने का निश्चय किया। सेना और जनता दोनों ने साथ दिया । 7 नवम्बर 1917 ई० को बोल्शेविक ने पेट्रोग्राड के रेलवे स्टेशन, बैंक, डाकघर, टेलीफोन केन्द्र, कचहरी, अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार लिया । करेन्सकी रूस छोड़कर भाग गया । इस प्रकार रूस की महान नवंबर क्रांति (जिसे अक्टूबर क्रांति भी कहते हैं) सम्पन्न हुई। अब शासन की बागडोर लेनिन के हाथों में आ गई।
प्रश्न 4. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं ?
उत्तर-समाज का वैसा वर्ग जिसमें किसान, मजदूर और आम गरीब लोग शामिल हो, सर्वहारा वर्ग के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 5. क्रांति से पूर्व रूसो किसानों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर-रूस में जनसंख्या का बहुसंख्यक भाग कृषक थे, जिनकी स्थिति अत्यन्त दयनीय थी । 1861 ई० में जार अलक्जेंडर द्वितीय के द्वारा कृषि दासता समाप्त कर दी गई थी परंतु इससे किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था। उनके खेत बहुत छोटे-छोटे थे जिनपर परम्परा ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूँजी की कमी थी तथा करों के बोझ से वे दबे थे। में किसानों के पास क्रांति के सिवा कोई चारा नहीं था।
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लघु उत्तरीय प्रश्न –
प्रश्न 1. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणां का वर्णन करें। उत्तर-रूसी क्रांति के दो कारण निम्नलिखित थे :
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन-1917 ई० से पूर्व रूस में निरंकुश जारशाम व्यवस्था कायम थी। राजतंत्र अपना विशेषाधिकार छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। * निकोलस-II, जिसके शासन काल में क्रांति हुई, राजा के दैवी अधिकारों में विश्वास करता था। उसे आम लोगों की सुख-दुख की कतई चिंता नहीं थी। जार ने जो अफसरशाही व्यवस्था बनाया थी वह अस्थिर, जड़ और अकुशल थी।
(ii) मजदूरों की दयनीय स्थिति-रूस में मजदूरों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। उन काम अधिक करना पड़ता था। उनकी मजदूरी काफी कम थी । उसके पास कोई राजनीतिक अधिकार नहीं थे। अत: वे तत्कालीन व्यवस्था से असंतुष्ट थे।
प्रश्न 2. रूसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी?
उत्तर-सोवियत रूस विभिन्न राष्ट्रीयता का देश था । यहाँ मुख्यतः स्लाव जाति के लोक रहते थे। इनके अतिरिक्त फिन, पोल, जर्मन, यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग भी थे। भिन्न-भिन्न भाषा बोलते थे तथा उनका रस्म-रिवाज भी भिन्न-भिन्न था। परंतु रूस अल्पसंख्यक समूह जार निकोलस द्वितीय द्वारा जारी की गई रूसीकरण की नीति से परेशान था अ इसके अनुसार जार ने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रया किया । इससे अल्पसंख्यकों में हलचल मच गई और सत्ता के खिलाफ असंतोष फैला।
प्रश्न 3. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी, कैसे?
उत्तर-1917 ई० से पूर्व रूस में राजतंत्रीय शासन स्थापित था। रूस के सम्राट को जा कहा जाता था । जारशाही शासन निरंकुशता का प्रतीक था । किसानों, मजदूरों और सामान्य लोनि का जीवन अत्यन्त ही दयनीय था। अतः 1917 ई० में लेनिन के नेतृत्व में साम्यवादी क्रांति हुथ जिसमें सत्ता की बागडोर सर्वहारा (अर्थात कृषक, मजदूर और जनसामान्य) के हाथों में आ गई 3 उत्पादन पर अब परे समाज का अधिकार हो गया । अतः हम कह सकते हैं कि साम्यवाद एवं नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी।।
प्रश्न 4. नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धान्तों के बीच समझौता था, कैसे?
उत्तर-लेनिन एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यावहारिक राजनीतिज्ञ था.। उसने या स्पष्ट देखा कि तत्काल पूरी तरह समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ सारी पूँजीवा म दुनिया से टकराना संभव नहीं है जैसा कि ट्राटस्की चाहता था । इसलिए 1921 ई० में उसने एनि नई नीति की घोषणा की जिसमें मार्क्सवादी मूल्यों से कुछ हद तक समझौता करना पड़ा। लाका वास्तव में पिछले अनुभवों से सीखकर व्यावहारिक कदम उठाना ही इस नीति का लक्ष्य था किसानों से अनाज लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लगाया गया। जमीन पर किसानों का हाव कायम रहने दिया गया । विदेशी पूँजी भी सीमित मात्रा में आमंत्रित की गई। ट्रेड यूनियन बज अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई।
प्रश्न 5. प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया कैसे?
उत्तर-प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 ई० तक चला । इस युद्ध में रूस भी मित्र राष्ट्रों की ओर से शामिल हुआ था। इस युद्ध में सम्मिलित होने का एक मात्र उद्देश्य था कि रूसी जनता आंतरिक असंतोष भूलकर बाहरी मामलों में उलझ जाए । परन्तु इस युद्ध में चारों तरफ रूसी सेनाओं की हार हो रही थी, न उनके पास अच्छे हथियार थे और न ही पर्याप्त भोजन की | सुविधा थी । युद्ध के मध्य जार ने सेना का कमान अपने हाथों में ले लिया परिणामस्वरूप दरबार खाली हो गया तथा उसकी अनुपस्थिति में जरीना और उसके तथाकथित गुरु रासपुटिन (पादरी) को षड्यंत्र करने का मौका मिल गया, जिसके कारण राजतंत्र की प्रतिष्ठा गिर गई । अतः हम कह सकते हैं कि प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय ने क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
रूसी क्रांति के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर-रूसी क्रांति के निम्नलिखित कारण थे :
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन-क्रांति से पूर्व रूस में जारशाही शासन कायम थी जो निरंकुश एवं अकुशल थी। जार निकोलस-II एक स्वेच्छाचारी शासक था । आमलोगों की स्थिति चिंताजनक थी जिसके कारण रूस में क्रांति का श्रीगणेश हुआ। पे (ii) मजदूरों की दयनीय स्थिति-रूस में मजदूरों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी । उन्हें अधिक काम करना पड़ता था किंतु उनकी मजदूरी काफी कम थी । मजदूरों को कोई राजनीतिक अधिकार नहीं थे।
(iii) कृषकों की दयनीय स्थिति-रूस की बहुसंख्यक जनसंख्या कषक थी जिनकी | स्थिति अत्यन्त ही दयनीय थी । कृषकों के पास पूँजी का अभाव था तथा करों के बोझ से वे दबे हुए थे। किसानों के पास क्रांति के सिवा कोई चारा नहीं था।
(iv) औद्योगीकरण की समस्या-रूसी औद्योगीकरण पश्चिमी पूँजीवादी औद्योगीकरण से भिन्न था । यहाँ कुछ ही क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उद्योगों का केन्द्रण था । यहाँ राष्ट्रीय पूँजी का अभाव था । अतः उद्योगों के विकास के लिए विदेशी पूँजी पर निर्भरता बढ़ गयी थी। विदेशी पूँजीपति आर्थिक शोषण को बढ़ावा दे रहे थे। अतः चारों ओर असंतोष व्याप्त था। रूसीकरण की नीति-जार निकोलस द्वितीय द्वारा जारी की गई रूसीकरण की नीति से रूस में अल्पसंख्यक समूह परेशान थे । जार ने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। इससे अल्पसंख्यकों में असंतोष की भावना फैली।
(vi). विदेशी घटनाओं का प्रभाव-रूस की क्रांति में विदेशी घटनाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण थी। सर्वप्रथम क्रीमिया के युद्ध में रूस की पराजय ने उस देश में सुधार का युग आरंभ किया । तत्पश्चात् 1904-5 ई० के रूस-जापान युद्ध ने रूस में पहली क्रांति को जन्म दिया और । अन्ततः प्रथम विश्व युद्ध ने बोल्शेविक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया। । (vii) रूस में मार्क्सवाद तथा बुद्धिजीवियों का योगदान-रूस में क्रांति के पूर्व एक । वैचारिक क्रांति भी देखी जा सकती थी। लियो टॉलस्टाय (वार एण्ड पीस), दोस्तोवस्की, तुर्गनेव जैसे चिंतक इस नए विचारो गोसाहन दे रहे थे । रूस के औद्योगिक मजदूरों पर कार्ल मार्क्स के समाजवादी विचारों का पूर्ण प्रभाव था। मार्क्सवाद एक नशा की तरह रूस में छा गया और अन्ततः 1917 ई० की बोल्शेविक क्रांति हुई।
(viii) तात्कालिक कारण प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय-प्रथम विश्व 1914 ई० से 1918 ई० तक चला। इस युद्ध में रूस मित्र राष्ट्रों की ओर से शामिल हुआ था रूसी सेना के पास न तो आधुनिक हथियार था न ही पर्याप्त मात्रा में रसद । जार सेना का कर्मा अपने हाथों में ले लिया था जिससे दरबार में उसकी अनुपस्थिति में जरीना और पादरी (रासपुटिन को षड्यंत्र करने का मौका मिल गया, जिसके कारण राजतंत्र की प्रतिष्ठा और भी गिर गई उपर्युक्त कारणों के परिप्रेक्ष्य में रूस में 1917 ई० की बोल्शेविक क्रांति हुई। । .
प्रश्न 2. नई आर्थिक नीति क्या है ?
उत्तर-लेनिन ने 1921 ई० में एक नई नीति की घोषणा की जिसमें मार्क्सवाद के मूल से कुछ हद तक समझौता करना पड़ा । नई आर्थिक नीति में निम्नलिखित प्रमुख बातें थीं-1 किसानों से अनाज लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लगाया गया । बचा हुआ अना किसान का था, वह उसका मनचाहा इस्तेमाल कर सकता था ।
. (ii) यद्यपि यह सिद्धान्त में कायम रखा गया कि जमीन राज्य की है फिर भी व्यवहार जमीन किसान की हो गई।
(iii) 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार मित गया। ..(iv) उद्योगों का विकेन्द्रीकरण किया गया ।
(v) विभिन्न स्तरों पर बैंक की स्थापना की गई। (vi) विदेशी पूँजी को भी सीमित तौर पर आमंत्रित की गई । (vii) व्यक्तिगत सम्पत्ति और जीवन की बीमा भी राजकीय एजेंसी द्वारा शुरू किया गया (viii) ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई । नई आर्थिक नीति के द्वारा लेनिन ने उत्पादन की कमी को नियंत्रित किया। इस परिणामस्वरूप कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई।
प्रश्न 3. रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें। उत्तर-रूसी क्रांति के प्रभाव :
(i) इस क्रांति के पश्चात् श्रमिक अथवा सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो तथा इसने अन्य क्षेत्रों में भी आंदोलन को प्रोत्साहन दिया ।
(ii) रूसी क्रांति के बाद विश्व विचारधारा के स्तर पर दो खेमों में विभाजित हो गया साम्यवादी विश्व एवं पूँजीवादी विश्व । इसके पश्चात् यूरोप भी दो भागों में विभाजित हो गया पूर्वी यूरोप और पश्चिमी यूरोप।।
(iii) द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् पूँजीवादी विश्व तथा सोवियत रूस के बीच शीतयः की शुरूआत हुई और आगामी चार दशकों तक दोनों खेमों के बीच हथियारों की होड़ जारी रहा।
(iv) रूसी क्रांति के पश्चात् आर्थिक आयोजन के रूप में एक नीवन आर्थिक मॉडल आय आगे पूँजीवादी देशों ने भी परिवर्तित रूप में इस मॉडल को अपनाया।
(v) इसकी सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश मुक्ति को भी प्रोत्साहन दिया प्रश्न 4. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धान्त का वर्णन करें।
उत्तर-कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 ई० को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगरी एक यहूदी परिवार में हुआ था। उनके पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे जिन्होंने में चलकर ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया था । मार्क्स ने बोन विश्वविद्यालय में विधि की शिक्षा ग्रहण की परन्तु 1836 ई० में वे बर्लिन विश्वविद्यालय चले आए जहाँ उनके जीवन को नया मोड़ मिला । मार्क्स हीगल के विचारों से प्रभावित था। 1843 ई० में उसने बचपन की मित्र हेनी से विवाह किया । कार्ल मार्क्स की मुलाकात पेरिस में 1844 ई० में फ्रेडरिक एंजेल्स से हुई जिनसे जीवन भर उनकी गहरी मित्रता बनी रही । मार्क्स ने एंजेल्स के साथ मिलकर 1848 ई० में एक साम्यवादी घोषणा पत्र प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है । उपर्युक्त घोषणा पत्र में मार्क्स ने अपने आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया
। मार्क्स ने 1867 ई० में ‘दास कैपिटल’ नामक पुस्तक की रचना की, जिसे “समाजवादियों की बाइबिल” कहा जाता है।
मार्क्स के सिद्धान्त :
1. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धान्त 2. वर्ग-संघर्ष का सिद्धान्त 3. इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या 4. मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धान्त 5. राज्यहीन एवं वर्गहीन समाज की स्थापना
ऐतिहासिक भौतिकवाद-कार्ल मार्क्स के द्वारा इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या प्रस्तुत हो गई । उसने कहा कि इतिहास उत्पादन के साधन पर नियंत्रण के लिए दो वर्गों के बीच चल हे निरन्तर संघर्ष की कहानी है । उसके अनुसार इतिहास की प्रत्येक घटना एवं परिवर्तन के मूल
आर्थिक शक्तियाँ हैं । कार्ल मार्क्स के अनुसार इतिहास के निम्नलिखित चरण हैं
(i) आदिम साम्यवादी युग (Age of Primitive Communism) , (ii) दासता का युग (Slave age) (iii) सामन्ती युग (Feudual age) . (iv) पूँजीवादी युग (Capitalist age) (v) समाजवादी युग (Socialistic age) (vi) साम्यवादी युग (Cummunist age)
प्रश्न 5.
यूरोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें।
उत्तर-प्रथम यूरोपियन (स्वप्नदर्शी) समाजवादी जिसने समाजवादी विचारधारा के विकास एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, एक फ्रांसीसी विचारक सेंट साइमन था । उनका मानना था कि य एवं समाज को इस ढंग से संगठित करना चाहिए कि लोग एक-दूसरे का शोषण करने “बदले मिलजुलकर प्रकृति का दोहन करे, समाज को निर्धन वर्ग के भौतिक एवं नैतिक उत्थान लिए कार्य करना चाहिए । उसने घोषित किया “प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार तथा को उसके कार्य के अनुसार अवसर मिलना चाहिए”। आगे चलकर यही समाजवाद का । बन गया। एक अन्य महत्त्वपूर्ण यूरोपियन विचारक चार्ल्स फौरियर था । वह आधुनिक औद्योगिकवाद विरोधी था तथा उसका मानना था कि श्रमिक को छोटे नगर अथवा कस्बों में काम करना हुए। उसने किसानों के लिए फ्लांग्स बनाए जाने की योजना रखी। फ्रांसीसी यूरोपियन चिंतकों में लुई ब्लां प्रमुख था। उसके सुधार कार्यक्रम अधिव व्यावहारिक थे। उसका मानना था कि आर्थिक सुधारों को प्रभावकारी बनाने के लिए पह राजनीतिक सुधार आवश्यक है। फ्रांस से बाहर सबसे महत्त्वपूर्ण यूरोपियन चिंतक ब्रिटिश उद्योगपति रॉबर्ट ओवन था । उस अपनी फैक्ट्री में श्रमिकों को अच्छी वैतनिक सुविधाएँ प्रदान की और फिर उसने ऐसा महसूस कि कि मुनाफा कम होने के बजाए और भी बढ़ गया । अतः वह इस निष्कर्ष पर पहुचा कि संतु। श्रमिक ही वास्तविक श्रमिक है।
Class 10th Political Science Short Type Question Answer(2 marks)
S.N |
राजनीतिशास्त्र लघु उत्तरीय प्रश्न(Short type) |
1. |
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2. |
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3. |
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4. |
लोकतंत्र में उपलब्धियां |
5. |
लोकतंत्र में चुनौतियाँ |
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