प्रश्नावली
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Question) :
- सही विकल्प चुनें :
1. निम्न को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है ।
(क) सेवा क्षेत्र
(ख) कृषि क्षेत्र
(ग) औद्योगिक क्षेत्र
(घ) इनमें से कोई नहीं
2. इनमें कौन से देश में मिश्रित अर्थव्यवस्था है ?
(क) अमेरिका
(ग) भारत
(ख) चीन
(घ) इनमें से कोई नहीं
3. भारत में योजना आयोग का गठन कब किया गया था ?
(क) 15 मार्च 1950
(ग) 15 अक्टूबर 1951
(ख) 15 सितम्बर 1950
(घ) इनमें से कोई नहीं
4. जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश कहलाता है।
(क) अविकसित
(ख) विकसित
(ग) अर्द्ध-विकसित
(घ) इनमें से कोई नहीं
5. इनमें से किसे पिछड़ा राज्य कहा जाता है ?
(ग) बिहार
(घ) दिल्ली
(क) पंजाब
(ख) केरल
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें ।
- भारत अंग्रेजी शासन का एक ………… था ।
2. अंग्रेजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था का ………. किया ।
3. अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की …………है ।
4. द्वितीयक क्षेत्र को ………… क्षेत्र कहा जाता है ।
5. आर्थिक विकास आवश्यक रूप से ………… की प्रक्रिया है ।
6. भारत में आर्थिक विकास का श्रेय ……… को दिया जा सकता है ।
7. आर्थिक विकास की माप करने के लिए ……… को सबसे उचित सूचकांक माना जाता है ।
8. साधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति ……… है ।
9. बिहार में ………… ही जीवन का आधार है ।
10. बिहार के विकास में …………….. एक बहुत बड़ा बाधक है ।
उत्तर : 1. उपनिवेश 2. शोषण 3. प्रणाली 4. औद्योगिक 5. परिवर्तन 6. नियोजन 7. प्रतिव्यक्ति आय 8. दयनीय 9. कृषि 10. बाढ
लघु उत्तरीय प्रश्न :
1. अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं ?
उत्तर : अर्थव्यवस्था जीवनयापन के लिए अपनाई गई एक आर्थिक व्यवस्था है। इस व्यवस्था में ही किसी देश या समाज के सदस्य सभी प्रकार की आर्थिक क्रियाओं का संचालन करते हैं ।
2. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है ?
उत्तर : मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवादी तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था का मिश्रण है । मिश्रित अर्थव्यवस्था वह है जहाँ उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार तथा निजी व्यक्तियों के पास होता है । मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूँजीवादी एवं समाजवादी अर्थव्यवस्था के दोषों का निराकरण कर उनके गुणों को अपनाने की चेष्टा की जाती है । इस अर्थव्यवस्था में न तो स्वतंत्र पूँजीवाद को पूर्णतः प्रश्रय दिया जाता है और न समाजवादी अर्थव्यवस्था की तरह अर्थव्यवस्था पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण ही रहता है ।
3. सतत् विकास क्या है ?
उत्तर : सतत विकास का मतलब यह है कि विकास की क्रिया लगातार चलती रहनी चाहिए ताकि प्राकृतिक साधनों के अत्यधिक शोषण को रोककर तथा प्रदूषण को कम कर पर्यावरण की गुणवत्ता बनाये रखते हुए वर्तमान एवं भावी दोनों पीढ़ियों को विकास का लाभ प्राप्त हो ।
4. आर्थिक नियोजन क्या है ?
उत्तर : आर्थिक नियोजन का अर्थ एक समयबद्ध कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्व निर्धारित सामाजिक एवं आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों का नियोजित समन्वय एवं उपयोग करना है। भारत के योजना आयोग के अनुसार, “आर्थिक नियोजन का अर्थ राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना है ।
5. मानव विकास रिपोर्ट (Human Development Report) क्या है ?
6. आधारिक संरचना (Infrastructure ) पर प्रकाश डालें ।
उत्तर : आधारिक संरचना का मतलब उन सुविधाओं तथा सेवाओं से है जो देश के आर्थिक विकास के लिए सहायक होते हैं । वे सभी तत्त्व, जैसे- बिजली, परिवहन, संचार, बैंकिंग, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल आदि देश के आर्थिक विकास के आधार हैं, उन्हें देश का आधारिक संरचना कहा जाता है ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long-Answer Questions) :
1 अर्थव्यवस्था की संरचना (Structure of Economy) से क्या समझते हैं ? इन्हें कि भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर : अर्थव्यवस्था की संरचना का मतलब उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में इसके विभाजन से है। अर्थव्यवस्था की संरचना को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(i) प्राथमिक क्षेत्र : जब प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन किया जाता है तो इसे हम प्राथमिक क्षेत्र के नाम से पुकारते हैं। इसे प्राथमिक क्षेत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अन्य निर्मित किये जाने वाले वस्तुओं का आधार है। प्राथमिक क्षेत्र के अन्तर्गत कृषि, डेयरी, मछली पालन और वन्य उत्पाद आदि आते हैं।
(ii) द्वितीयक क्षेत्र : द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। द्वितीयक क्षेत्र के अन्तर्गत कृषि क्षेत्र या प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के द्वारा निर्मित की जाती है। उदाहरण के लिए गन्ने से चीनी और गुड़ तैयार करना ।
(iii) तृतीयक क्षेत्र : तृतीयक क्षेत्र जिसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है. प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र के विकास में मदद करते हैं। इसके अंतर्गत बैंक,
बीमा, परिवहन, संचार, व्यापार एवं अन्य सेवाएँ आती हैं ।
2. आर्थिक विकास क्या है ? आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर बतावें ।
उत्तर : मानव सभ्यता के विकास के क्रम से ही आर्थिक विकास भी हुआ है। विकास का अर्थ समयानुकूल बदलता रहता है। पहले आर्थिक विकास का अर्थ राष्ट्रीय आय में वृद्धि समझा जाता था। इसके बाद प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि को विकास का सूचक समझा जाने लगा। लेकिन वर्तमान समय में विकास का मतलब प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जीवन की गुणवत्ता अथवा जीवन स्तर में सुधार तथा कुपोषण, बेरोजगारी एवं गरीबी में कमी करना समझा जाता है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो० रोस्टोव के अनुसार, “आर्थिक विकास एक ओर श्रम शक्ति में वृद्धि की दर तथा दूसरी ओर जनसंख्या में वृद्धि के बीच का सम्बंध है। प्रो० मेयर एवं बाल्डविन का कहना है कि “आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा दीर्घकाल में किसी अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।” अतः स्पष्ट है कि आर्थिक विकास एक परिवर्तन की प्रक्रिया है जिससे अर्थव्यवस्था के स्वरूप में परिवर्तन होता है एवं प्रतिव्यक्ति वास्तविक आय भी बदलती रहती है।
आर्थिक विकास और आर्थिक वृद्धि में सूक्ष्म अन्तर पाया जाता है। आर्थिक वृद्धि शब्द का प्रयोग विकसित देशों के लिए किया जाता है जबकि आर्थिक विकास शब्द का प्रयोग विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए किया जाता है ।
3. आर्थिक विकास की माप कुछ सूचकांकों के द्वारा करें ।
उत्तर : आर्थिक विकास को मापने के लिए विभिन्न सूचकांक (indicators) और मापदंड उपयोग किए जाते हैं। ये सूचकांक देश की आर्थिक स्थिति, जीवन स्तर, और विकास की दर को दर्शाने में सहायक होते हैं। कुछ प्रमुख सूचकांक निम्नलिखित हैं:
i. सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product – GDP) : यह देश के भीतर एक निश्चित समय अवधि में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य होता है। यह एक प्रमुख सूचकांक है जो देश की आर्थिक गतिविधियों और उत्पादन की क्षमता को दर्शाता है।
वास्तविक GDP (Real GDP): मुद्रास्फीति को समायोजित करने के बाद की GDP।
नाममात्र GDP (Nominal GDP): वर्तमान कीमतों पर मापा जाने वाला GDP।
ii. सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income – GNI):
यह GDP में विदेशी स्रोतों से प्राप्त शुद्ध आय को जोड़कर प्राप्त किया जाता है। इसमें विदेशी निवेश, अनुदान, और प्रवासी नागरिकों द्वारा भेजी गई राशि शामिल होती है ।
iii. प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income): यह एक व्यक्ति की औसत आय को दर्शाता है। इसे GDP या GNI को देश की जनसंख्या से विभाजित करके निकाला जाता है। यह जीवन स्तर और धन वितरण को मापने का एक तरीका है ।
iv. मानव विकास सूचकांक (Human Development Index – HDI) : यह सूचकांक जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर, और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर देश के समग्र विकास को मापता है। यह मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखता है ।
v. गरीबी दर (Poverty Rate): यह सूचकांक उस जनसंख्या के प्रतिशत को दर्शाता है जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है ।
vi. बेरोजगारी दर (Unemployment Rate): यह सूचकांक उस जनसंख्या के प्रतिशत को दर्शाता है जो सक्रिय रूप से काम की खोज में है लेकिन उन्हें काम नहीं मिल रहा है ।
vii. मुद्रास्फीति दर (Inflation Rate): यह सूचकांक कीमतों में सामान्य वृद्धि को दर्शाता है ।
viii. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment – FDI): यह सूचकांक विदेशी कंपनियों द्वारा देश में किए गए निवेश को मापता है ।
ix. सकल राष्ट्रीय बचत दर (Gross National Savings Rate): यह सूचकांक देश की कुल बचत को मापता है, जिसमें घरेलू और विदेशी दोनों स्रोत शामिल होते हैं ।
ये सभी सूचकांक मिलकर देश के आर्थिक विकास और प्रगति की व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। इनके आधार पर नीतियाँ बनाई जाती हैं और विकास की दिशा तय की जाती है ।
4. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण हैं ? बिहार के पिछड़ेपन दूर करने के कुछ मुख्य उपाय बतावें ।
उत्तर : पूर्वी भारत का एक प्रमुख राज्य होने पर भी बिहार आर्थिक दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा हुआ है। इसके आर्थिक पिछड़ेपन के प्रमुख कारण निम्नलिखित
है—
(i) कृषि का पिछड़ापन – बिहार एक कृषिप्रधान राज्य है। परंतु, राष्ट्रीय औसत की अपेक्षा बिहार में कृषि निवेश की मात्रा कम है। परिणामतः राज्य की कृषि पिछड़ी हुई अवस्था में है और इसकी उत्पादकता बहुत कम है।
(ii) औद्योगिकीकरण का अभाव – अविभाजित बिहार के दक्षिणी भाग में खनिज पदार्थों का बाहुल्य था। अतएव, राज्य के भारी एवं आधारभूत उद्योगों की स्थापना भी इसी क्षेत्र में हुई थी। परंतु, राज्य के विभाजन के पश्चात यह क्षेत्र झारखंड का अंग हो गया और बिहार में अब कोई भी वृहत उद्योग नहीं है।
(iii) कमजोर आर्थिक संरचना – यातायात एवं संचार साधन, शक्ति, सिंचाई, बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाएँ आर्थिक संरचना के प्रमुख अंग हैं। इनके अभाव में कृषि, उद्योग एवं व्यवसाय किसी भी क्षेत्र का विकास संभव नहीं है।
(iv) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण- देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा बिहार में जनसंख्या की वृद्धि दर भी अपेक्षाकृत अधिक है। जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि के कारण बिहार साक्षरता दर, शिशु मृत्यु दर, जीवन प्रत्याशा, कार्यसहभागिता-दर आदि विकास के सभी मानदंडों में पीछे है।
बिहार का आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक कारणों का संयुक्त परिणाम है तथा इसकी संवृद्धि एवं विकास के लिए एक समेकित कार्यक्रम अपनाना आवश्यक है। बिहार मूलतः एक कृषि एवं ग्राम प्रधान राज्य है। अतः, कृषि के विकास और आधुनिकीकरण के बिना राज्य की संवृद्धि संभव नहीं है। इसमें सुधार के लिए भूमि सुधार कार्यक्रमों का प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त बिजली की आपूर्ति तथा बाढ़ और जलजमाव की समस्याओं का समाधान आवश्यक है ।
Leave a comment