समाजवाद एवं साम्यवाद
1. समाजवाद क्या है ?
उत्तर : आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक समानता के लक्ष्य को सम्मुख रखकर बनाई गई सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था जिस विचारधारा पर आधारित समझी जाती है, उसे समाजवाद कहते हैं। इसके अन्तर्गत उत्पादन के साधनों पर चन्द व्यक्तियों के बदले सारे समाज के स्वामित्व की व्यवस्था को प्रमुखता दी जाती है। इस व्यवस्था के अनुसार उत्पादन के साधन समाज के नियंत्रण में तथा समाज के लाभार्थ होने चाहिए ।
2. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी, कैसे ? 14A, 17 A
उत्तर- रूस में बोल्शेविक क्रान्ति के बाद स्थापित साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था बनकर उभरी थी। इस व्यवस्था ने आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में पूँजीपतियों तथा कुलीन वर्ग का प्रभुत्व समाप्त कर दिया। पहले भूमि बड़े भूमिपतियों, जमीन्दारों की निजी सम्पत्ति हुआ करती थी । ये प्राय: विशेषाधिकार प्राप्त कुलीन वर्ग के होते थे। इसी प्रकार उद्योग-धन्धे, फैक्ट्री – कारखाना, आदि भी पूँजीपतियों के निजी सम्पत्ति थे। भूमि एवं उद्योग-धन्धों के निजी सम्पत्ति होने से इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी, सामाजिक हैसियत ऊँची तथा व्यक्तिगत जीवन विलासपूर्ण था ।
नई व्यवस्था में कृषि भूमि को राजकीय सम्पत्ति घोषित कर किसानों में बाँट दी गई। किसानों को अतिरिक्त उत्पादन नियत दर पर राज्य को सौंपनी होती थी। उद्योग-धन्धों का भी राष्ट्रीयकरण हो गया। उत्पादन तथा उपभोग की सभी वस्तुओं पर तथा विदेशी व्यापार पर राजकीय एकाधिकार हो गया। उद्योग-धन्धे तथा व्यापार के संचालन हेतु राजकीय तंत्र स्थापित हुए। इस प्रकार, साम्यवाद ने बिल्कुल नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था स्थापित की।
3. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें । BM, 13 A, 17 A, 18 C, 23 A
उत्तर- रूसी क्रान्ति के दो महत्वपूर्ण कारण निम्नलिखित थे-
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन– यद्यपि 19वीं सदी के मध्य में राजतंत्र की शक्ति सीमित की जा चुकी थी। रूसी राजतंत्र अपना विशेषाधिकार छोड़ने को तैयार नहीं था । जार निकोलस द्वितीय राजा के दैवी अधिकारों में विश्वास रखता था। जार की अफसरशाही अस्थिर और नेतृत्व अकुशल थी। गलत सलाहकारों के कारण जार की स्वेच्छाचारिता बढ़ती गई और जनता की स्थिति बद से बदतर होती गई ।
(ii) कृषक के रूप में मजदूरों की दयनीय स्थिति-रूस की बहुसंख्यक जनता कृषक थी जो अपने छोटे-छोटे खेत पर पुराने ढंग से खेती करती थी । दयनीय आर्थिक स्थिति में भी वे करों के बोझ से दबे हुए थे। मजदूरों को कम मजदूरी में अधिक काम करना होता था। अपनी माँगों के समर्थन में वे हड़ताल भी नहीं कर सकते थे। उन्हें कोई राजनैतिक अधिकार प्राप्त नहीं था ।
इस प्रकार रूसी जनता की बदहाली ही क्रान्ति का मुख्य कारण थी ।
4. रूसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी ?
उत्तर- रूस की जनता में यहूदी, पोल, फिन, उजबेक, तातार कजाक, आर्मीनियन, रूसी आदि जातियों के लोग थे। इनकी भाषा, रस्म-रिवाज आदि भिन्न-भिन्न थे। रूसी बहुसंख्यक होने से सर्वाधिक प्रभावशाली एवं शासक बन गये थे। जार अलेक्जेंडर प्रथम के समय से ही रूसीकरण की नीति अपनाई गई। ‘एक जार एक धर्म’ का नारा तथा सभी पर रूसी भाषा, शिक्षा एवं संस्कृति थोपने का कुत्सित प्रयास भी जारी था। गैर- रूसी जनता का दमन किया गया, सम्पत्ति जब्त की गई तथा अमानुषिक अत्याचार किये गये । ऐसी स्थिति में जार के प्रति विद्रोही होना स्वाभाविक ही था। इन्होंने भी जार के विरुद्ध आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
क्रान्ति के अनेक कारणों में रूसीकरण की नीति भी एक महत्वपूर्ण कारण थी, किन्तु यह पहले से उपलब्ध एक कारण थी न कि तात्कालिक कारण ।
5. खूनी रविवार क्या है ? BM, 20 A, 22 A
उत्तर -1905 ई० के रूस-जापान युद्ध में रूस एशिया के एक छोटे-से देश जापान से पराजित हो गया। पराजय के अपमान के कारण जनता ने क्रांति कर दी। 9 जनवरी, 1905 ई० में लोगों का समूह प्रदर्शन करते हुए सेंट पिट्सबर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था । जार की सेना ने इन निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसाईं जिसमें हजारों लोग मारे गये। यह घटना रविवार के दिन हुई, अतः इसे खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।
6. पूँजीवाद क्या है ? 19 A
उत्तर- पूँजीवाद ऐसी राजनैतिक, आर्थिक व्यवस्था है जिसमें निजी सम्पत्ति तथा निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है। यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है।
7. अक्टूबर क्रांति क्या है ? 18 C, 19 A
उत्तर – 7 नवम्बर, 1917 ई० में बोल्शेविकों ने पेट्रोग्राद के रेलवे स्टेशन, बैंक, डाकघर, टेलीफोन केन्द्र, कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया। करेन्स्की भाग गया और शासन की बागडोर बोल्शेविकों के हाथों में आ गई जिसका अध्यक्ष लेनिन को बनाया गया। इसी क्रान्ति को बोल्शेविक क्रान्ति या नवम्बर की क्रांति कहते हैं। इसे अक्टूबर की क्रान्ति भी कहा जाता है क्योंकि पुराने कैलेन्डर के अनुसार यह 25 अक्टूबर, 1917 ई० की घटना थी ।
8. समाजवाद की क्या विशेषताएँ थीं ? BM
उत्तर- समाजवाद के उदय का कारण औद्योगिक क्रांति थी। हालांकि ऐतिहासिक दृष्टि से समाजवाद का विकास दो चरणों में हुई । मार्क्स के पूर्व का समाजवाद एवं मार्क्स के बाद का सामाजवाद यूरोपियन समाजवाद पूराना था। यह समाजवादी आदर्शवादी होते थे। यह समाजवाद कल्पनालोकीय या स्वप्नलोकीय समाजवाद के नाम से भी जाना जाता है। जो व्यवहारिक नहीं थे। वैज्ञानिक समाजवाद वर्ग संघर्ष के माध्यम से उभरा था। इनके विचारवाद प्रतिवाद संश्लेषण पर आधारित था इसलिए एक यथार्थवादी था तो दूसरा आदर्शवादी ।
9. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं ? BM, 12 C, 18 C
उत्तर- समाज का वह लाचार वर्ग जिसमें गरीब किसान, कृषक मजदूर, सामान्य मजदूर, श्रमिक एवं आम गरीब लोग शामिल हो उसे सर्वहारा वर्ग कहते हैं । इस वर्ग के लोगों के पास बुनियादी चीजें भी उपलब्ध नहीं होतीं । घनी वर्ग इस वर्ग को उपेक्षित नजरों से देखते हैं।
10. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय ने क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया, कैसे ?
उत्तर – रूसी क्रान्ति के कुछ कारण कई दशकों से विद्यमान थे । रूस में जारशाही बारूद के ढेर पर बैठी थी। बस उस ढेर में चिंगारी लगाने की आवश्यकता थी। यह काम प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय ने कर दिया ।
प्रथम विश्वयुद्ध में रूसी सेना में कृषि तथा उद्योग से जुड़े लोग भी सैनिक कार्य हेतु भेजे गये जिसका प्रतिकूल असर अनाज एवं अन्य उत्पादों पर पड़ा। देश में दुर्भिक्ष की स्थिति हो गई। मोर्चे पर भेजे गये सैनिक भी युद्ध सामग्री और खाद्यान्न के अभाव में बेमौत मर रहे थे। लगभग 20 लाख रूसी सैनिक मारे गये और 50 लाख से भी अधिक घायल हुए। इससे रूसी फौज में भी असंतोष फैल गया। एक तरफ सेना और जनता दुर्भिक्ष की स्थिति के साथ-साथ हार का अपमान झेल रही थी वहीं दूसरी तरफ जारशाही वैभव और विलास का आनन्द ले रही थी। इन्हीं परिस्थितियों में विद्रोहों का सिलसिला शुरू हो गया। सैनिक भी आन्दोलनकारियों के साथ मिल गए और क्रांति सामने नजर आने लगी।
11. क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी ? 22 A
उत्तर- क्रांति से पूर्व कृषकों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। वे अपने छोटे-छोटे खेतों में पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूँजी का अभाव था । वे करों के बोझ से दबे थे। समस्त कृषक जनसंख्या का एक-तिहाई भाग भूमिहीन था। उनकी स्थिति अर्द्ध दासों जैसी थी।
12. रूस की क्रांति ने पूरे विश्व को प्रभावित किया। किन्हीं दो उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करें । BM, 11A
उत्तर- रूस की क्रांति ने इस प्रकार पूरे विश्व को प्रभावित किया –
(i) इस क्रांति ने विश्व को दो विचारधाराओं में बाँट दिया ।
(ii) इस क्रांति ने आर्थिक नियोजन का नया प्रारूप प्रस्तुत किया, जिसे पूर्ववर्ती देशों ने अपनाना शुरू किया ।
13. शीतयुद्ध से आपका क्या अभिप्राय है ? BM
उत्तर–शीतयुद्ध प्रत्यक्ष युद्ध न होकर वाकद्वन्द्व द्वारा एक दूसरे राष्ट्र को नीचा दिखाने का वातावरण है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पूँजीवादी राष्ट्रों और रूस के बीच इसी प्रकार का शीतयुद्ध चलता रहा ।
14. नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता थी । कैसे ?
उत्तर – नई आर्थिक नीति में कुछ बातें ऐसी थीं जो समाजवाद से दूर तथा पूँजीवाद के निकट थीं जैसे- (i) किसान अपने अधिशेष उत्पाद का मनचाहा इस्तेमाल कर सकता था ।
(ii) केवल सिद्धान्ततः जमीन राज्य की थी जो व्यवहारत: किसान की हो गई ।
(iii) 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार मिल गया ।
(iv) उद्योगों का विकेन्द्रीकरण कर दिया गया तथा निर्णय और क्रियान्वयन के बारे में काफी छूट दी गई ।
(v) विदेशी पूँजी भी सीमित तौर पर आमंत्रित की गई ।
(vi) व्यक्तिगत संपत्ति को मान्यता मिली ।
अतः नई मार्क्सवादी आर्थिक नीति मिश्रित अर्थव्यवस्था पर आधारित थी ।
15. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया । कैसे ?
उत्तर : प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय 1917 की रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण बना। इस युद्ध में रूस की पराजय लगातार होती गई । युद्ध आरंभ होने पर जार निकोलस द्वितीय ने सेना की कमान अपने हाथों में ले ली। युद्ध में रूस की पराजय जारशाही के लिए घातक सिद्ध हुई । जनता विद्रोह पर उतारू हो गई ।
16. नई आर्थिक नीति की दो मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर : नई आर्थिक नीति की मुख्य विशेषता निम्नलिखित थीं –
(i) नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत यौद्धिक साम्यवाद की आवश्यक अधिग्रहण की नीति को समाप्त कर दिया गया। किसानों के अतिरिक्त उपज, जो पहले अनिवार्य रूप से वसूल की जाती थी, उसे बन्द कर दी गई। नवीन नीति के अन्तर्गत किसानों से कृषि उत्पादन कर लिया जाने लगा ।
(ii) नवीन कर प्रणाली के द्वारा आर्थिक स्थिति के अनुसार कर निर्धारित किया
गया । धनी व्यक्ति से अधिक एवं गरीब से कम कर लिया जाता था ।
17. रॉबर्ट ओवेन को आदर्शवादी समाजवाद का जनक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर : 1777 ई० में जन्मे रॉबर्ट ओवेन को ब्रिटेन में समाजवाद का प्रवर्तक माना जाता है। ब्रिटेन में हो रहे श्रमिकों के शोषण को रोकने के लिए रॉबर्ट ओवेन ने स्कॉटलैण्ड में एक आदर्श कारखाने और मजदूरों के आवास की व्यवस्था की । उन्होंने श्रमिकों के लिए अच्छा भोजन, शिक्षा, चिकित्सा, आवास, उचित मजदूरी “की व्यवस्था की । वृद्धावस्था बीमा योजना, काम के कम घंटे पर जोर दिया तथा बाल मजदूरी पर रोक लगवाई। इस प्रयास से मुनाफे में वृद्धि हुई और श्रमिक इनसे संतुष्ट हुए। उपर्युक्त कार्यों के कारण रॉबर्ट ओवेन को आदर्शवादी समाजवाद का जनक कहा जाता है ।
18. नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता था । कैसे ?
उत्तर : साम्यवादी व्यवस्था में व्यक्तिगत संपत्ति की अवधारणा नहीं थी, परंतु लेनिन ने तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किसानों को जमीन का स्वामित्व दिया। व्यक्तिगत स्वामित्व में उद्योग चलाने का भी अधिकार नई आर्थिक नीति में दिया गया। स्पष्टतः, यह साम्यवादी नीति के साथ समझौता था, परंतु इससे सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ ।
19. रूसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी ?
उत्तर : रूस में विभिन्न प्रजातियाँ निवास करती थीं। इनकी भाषा एवं संस्कृति अलग-अलग थी, परंतु जार ने देश की एकता के लिए रूसीकरण की नीति अपनाई, सबों पर समान भाषा, शिक्षा और संस्कृति थोपने का प्रयास किया। 1863 में रूसीकरण की नीति के विरुद्ध पोलों ने विद्रोह कर दिया जिसे दबा दिया गया। इससे विद्रोह की भावना बलवती हुई और रूसी क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार हुई |
20. मेन्शेविक तथा वोल्शेविक में क्या अंतर है ?
उत्तर : प्लेखानोव द्वारा 1883 ई० में स्थापित रूसी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी 1903 ई॰ में संगठनात्मक मुद्दों को लेकर दो दलों में बँट गया। बहुमत वाला बोल्शेविक तथा अल्पमत वाला मेन्शेविक कहलाया। मेन्शेविक मध्यवर्गीय क्रांति के द्वारा राजनीतिक परिवर्तन चाहते थे जबकि बोल्शेविक सर्वहारा क्रांति के द्वारा राजनीतिक परिवर्तन चाहते थे। अंततः बोल्शेविकों के नेतृत्व में ही रूसी क्रांति हुई ।
21. रूसी क्रांति में लेनिन की भूमिका की समीक्षा कीजिए ।
उत्तर : रूसी क्रांति दो अवस्थाओं से होकर गुजरी – मार्च, 1917 की राजनीतिक क्रांति एवं अक्टूबर, 1917 की आर्थिक-सामाजिक क्रांति । 27 फरवरी, 1917 को जब जार ने शासन की बागडोर छोड़ी तो राजनीतिक क्रांति पूरी हो गई थी। लेनिन ने आर्थिक-सामाजिक क्रांति के निर्देशक की भूमिका निभायी। उसने सरकार की बागडोर सम्भाली और राष्ट्रपति पद पर आसीन हुआ । सबको शांति, भूमि और रोटी का साम्यवादी नारा दिया। सभी तरह के विरोध को कुचल दिया। उसने जर्मनी से संधि कर ली और प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो गया। उसने मार्क्स के समाजवादी-साम्यवादी सिद्धांतों के अनुरूप सोवियत संघ में दीर्घ- अखंड विकास की आधारशिला रखी ।
22. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें । [2013 (A), 2017 (A) (S.S.), 2018 (C), 2019 (A) (F.S.), 2021 (A) (F.S.)]
उत्तर : रूसी क्रांति के दो महत्त्वपूर्ण कारण थे— सामाजिक और आर्थिक । रूसी समाज के बहुसंख्यक किसान वर्ग की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। मजदूर तथा श्रमिक भी शोषण के शिकार थे । अतः, किसान-मजदूर जारशाही के विरोधी बन गए। रूस की आर्थिक स्थिति भी दुर्बल थी । कृषि तथा उद्योग का समुचित विकास नहीं होने तथा युद्धों से रूस की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई । बेरोजगारी और गरीबी बढ़ गई। इससे क्रांतिकारी भावना को बल मिला ।
23. साम्यवाद एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी । कैसे ? [2014 (A) (F.S.),.2017 (A) (F.s.)]
उत्तर : साम्यवाद ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की । इतिहास की आर्थिक (भौतिक) विवेचना कर मार्क्स ने बतलाया कि मानव इतिहास उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण करने के लिए दो वर्गों पूँजीपतियों और श्रमिकों में संघर्ष की कहानी है। इसमें अंतिम विजय श्रमिकों की होगी, वर्गविहीन समाज की स्थापना होगी तथा सर्वहारा वर्ग की विजय होगी । .
24 अक्टूबर क्रांति से आप क्या समझते हैं ? [2018 (C), 2019 (A) (S.S.)]
उत्तर : 7 नवम्बर, 1917 को बोल्शेविक दल ने बलपूर्वक रूस की सत्ता पर कब्जा कर लिया । इस घटना को इतिहास में अक्टूबर क्रांति कहा जाता है क्योंकि
उस दिन पुराने कैलेण्डर के अनुसार 25 अक्टूबर की तारीख थी ।
25. सर्वहारा वर्ग से आप क्या समझते हैं ? [2012 (C), 2018 (C)]
उत्तर : समाज का वैसा वर्ग जिसमें किसान, मजदूर एवं आम गरीब लोग
शामिल हैं, उन्हें सर्वहारा वर्ग कहा जाता है ।
26. पूँजीवाद क्या है ? [2019 (A) (F.S.)]
उत्तर : पूँजीवाद एक ऐसी सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत उत्पादन के सभी साधनों, कारखानों तथा विपणन पर थोड़े-से लोगों का स्वामित्व और नियंत्रण होता है। ऐसी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए होता है ।
27. लेनिन का संक्षिप्त परिचय दें । [2020 (A) (S.S.)]
उत्तर : लेनिन का जन्म रूस में 1870 में हुआ था। आरंभ से ही वह विद्रोही प्रवृत्ति का था। वह साम्यवाद से गहरे रूप से प्रभावित था । उसके नेतृत्व में बोलरोविक क्रांति हुई। शासनाध्यक्ष बनने के बाद उसने रूस के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास किया। एक नया संविधान लागू किया गया। आंतरिक व्यवस्था स्थापित की गई तथा आर्थिक-सामाजिक सुधार किए गए । 1921 में उसने नई आर्थिक नीति लागू की। उसकी मृत्यु 21 जनवरी, 1924 को हुई ।
28. मार्च क्रांति के बाद केरेंसकी के नेतृत्व में वनी सरकार का मुख्य उद्देश्य क्या था ? [2023 (A) (F.S.)]
उत्तर : बुर्जुआ सरकार के पतन के बाद केरेन्सकी के नेतृत्व में एक उदार समाजवादियों की सरकार गठित हुई। इस सरकार की स्थापना का मूल उद्देश्य, मित्र – राष्ट्रों से सहयोग, निजी सम्पत्ति के अधिकार की रक्षा, संविधान सभा द्वारा भूमि समस्या का निदानं, अधिकृत भूमि के लिए मुआवजा तथा निर्वाचित संविधान सभा द्वारा शासन में परिवर्तन लाना था, किन्तु उसने ऐसा नहीं किया । इस कारण साम्यवादी उसका भी विरोध करने लगे ।
29. लेनिन द्वारा नई आर्थिक नीति की घोषणा क्यों की गई ? [2023 (A) (F.S.)]
उत्तर : लेनिन की नयी आर्थिक नीति उसकी दूरदर्शिता का परिणाम थी जिसने रूस की स्थिर अर्थव्यवस्था को प्रगति के पथ पर अग्रसर कर दिया। नई आर्थिक नीति, 1921 ई० में लागू की गयी। इस नीति के प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं— सरकारी फार्म स्थापित किए गए। इन फार्मों में कृषि संबंधी अनुसंधान कार्य (रिसर्च) तथा नये-नये प्रयोग किए जाने लगे। भूमि की चकबंदी की गयी। इन बड़े फार्मों पर किसानों को नये यंत्र तथा अच्छी खाद-बीज आदि देकर मदद की गयी। लोगों को वेतन नकद दिया जाने लगा ।
30. वोल्शेविक क्रांति के दो तात्कालिक कारण बताइए । [2023 (A) (S.S.)]
उत्तर : 1917 में हुई रूसी क्रांति या बोल्शेविक क्रांति के निम्नलिखित दो
कारण थे –
(i) निकोलस जार का पूर्णत: निरंकुश तथा स्वेच्छाचारी होना । निकोलस जार द्वारा जनता को किसी प्रकार का अधिकार न देना ।
(ii) जार की साम्राज्यवादी आकांक्षा के कारण रूस का प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल होना ।
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